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तुझसे मुझसे, अच्छे है कुत्ते, धरा की गोद में है रह

तुझसे मुझसे, अच्छे है कुत्ते,
धरा की गोद में है रहते।
अब पूँछ हिलाना, अपना काम है,
कुत्तों को असीम आराम है। 

हमने सीख लिया है,
हाँपना,
काँपना,
पाने बेमतलब मुकामों को।

झपटना,
लपकना,
दूसरों के हक व हिस्सों को।

नोचना, 
खरोंचना,
अपने व दूसरों के जिस्मों को।

ऐंठना, 
जूठना,
वसुंधरा की हर वस्तु को।

बकोटना, 
भौंकना,
अपने मनुष्यत्व को।

तुझसे मुझसे,अच्छे है कुत्ते।

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि',भारत

©Anand Dadhich #कुत्ते #dog #ideological_poem #conceptualpoem #kaviananddadhich #poetananddadhich
तुझसे मुझसे, अच्छे है कुत्ते,
धरा की गोद में है रहते।
अब पूँछ हिलाना, अपना काम है,
कुत्तों को असीम आराम है। 

हमने सीख लिया है,
हाँपना,
काँपना,
पाने बेमतलब मुकामों को।

झपटना,
लपकना,
दूसरों के हक व हिस्सों को।

नोचना, 
खरोंचना,
अपने व दूसरों के जिस्मों को।

ऐंठना, 
जूठना,
वसुंधरा की हर वस्तु को।

बकोटना, 
भौंकना,
अपने मनुष्यत्व को।

तुझसे मुझसे,अच्छे है कुत्ते।

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि',भारत

©Anand Dadhich #कुत्ते #dog #ideological_poem #conceptualpoem #kaviananddadhich #poetananddadhich