"मेरी बेचैनियों से वो अब इत्तिफ़ाक़ नहीं रखते...." मेरी बेचैनियों से वो अब इत्तिफ़ाक़ नहीं रखते, रोशनियों में दर्द ढूँढ़ते हैं मगर दिल में जज़्बात नहीं रखते... शज़र से हो चले हैं सब ख़्याल तो उनके, नर्मदिल होने से भी मगर वो इंकार नहीं करते... हाजत-ए-ज़ीस्त की अज़ीज़ लत हो गई हैं उनको, मगर मौत की करिश्माई हक़ीक़त से भी एतराज़ नहीं करते... मुड़ कर देखते हैं हर रास्तें को वो अब बाज़ दफ़ा, मेरी मौजूदगी की चाहत का भी मगर इज़हार नहीं करते... चले आए थे नसीब से , चले भी जाएंगे नसीब से, 'फज़ल' यूँ भी भला कोई मोहब्बत में इंतेजार नहीं करते....!! #pyaasa #nojoto #gazal