समाज ने जकड़ा पाबन्दियों में मुझे, चलो छोड़ो..क्या परवाह इसकी। यूं बेपरवाह सी जिंदगी जिए जा रही थी, यूं बैठे बैठे ही ना जाने क्यूं? संवरने का ख्याल आया, ना सोचा ना समझा, पैरों में घुंघरू बांध लिया, इतने में भाई की आवाज़ आई- क्या घुंघरू तुमने बांधा है? अवाक सी...हैरान सी बस ओंढों से दबे स्वर निकले "नहीं तो" ये किस्सा तो बस घुंघरू का है गुजर जाती ज़िन्दगी हम लड़कियों की लिपिस्टिक, काजल, पहनावे के जवाब में और जवाब बस होता - "नहीं तो" "नहीं तो" "नहीं तो"। -Archana Raj #alone #Pabandi #Nojoto