प्रिय तेरे बिन जहां की हर ख़ुशी बेकार है तेरे रूठने से व्यर्थ सब संसार है तेरी पहलु मेरे आँखों का पहला उजास है तुझसे प्रीत लगा मेरा तनबदन एक राग है रंग तेरा रूप तेरा एक कोपल अनुराग है तुमपे लिख मेरा तो अभागा जीवन सार्थक है तू मिली सब मिला कितना मधुर अहसास है तुम्हारी बातें मिश्रित मधु से भी अधिक मिठास है जिस पनाह में वर्षो बाद् किलकारियां गूंज रही हाँ वही तो मेरा सर्वस्व अर्पण मेरा आधार है प्रिय तेरे बिन जहां की हर ख़ुशी बेकार है तेरे रूठने से व्यर्थ सब संसार है ख़ुशी दिया इतना की टुटा बिखरा दिल जुड़ साबुत खड़ा है मर्ज तेरे इश्क का मुझे नया कर गया है अब कहां कल्पना भी आँसुओ की अब कहां स्मृति में विरह का वो मर्म छू जो लिया तुमने किसलय नजर से आत्म मेरी आह अब तो हिर्दय में बस करुणा पुकार है प्रिय तेरे बिन जहां की हर ख़ुशी बेकार है तेरे रूठने से व्यर्थ सब संसार है ©kunal kanth #kamil #kunu #dedicated_to_my_lifeline #hindi_poetry