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मेरे मुकद्दर में गमों के सैलाब काफ़ी है ना जाने और

मेरे मुकद्दर में गमों के सैलाब काफ़ी है
ना जाने और कितने आसुओं के हिसाब बाकी है

जहां से शुरू हुआ था वहीं पर पहुंच गया हूं मैं
ना जाने और कितने उजारों से दो-चार होना बाकी है

डरता हूं कि हमसाये कहीं चले ना जाए छोड़कर
ना जाने और कितनी दहशतों से हलाकान होना बाकी है

अभी खत्म कहां हुए हैं सितम सितमगारों के
ना जाने और कितने इम्तहानों से बेज़ार होना बाकी है

©The_sourabh_baba #बाकी_है
#बाबा_की_कलम_से 
#baba_ki_kalam_se 
#नोजोटो #नोजोटोहिंदी 
#The_Sourabh_Baba

#Lights
मेरे मुकद्दर में गमों के सैलाब काफ़ी है
ना जाने और कितने आसुओं के हिसाब बाकी है

जहां से शुरू हुआ था वहीं पर पहुंच गया हूं मैं
ना जाने और कितने उजारों से दो-चार होना बाकी है

डरता हूं कि हमसाये कहीं चले ना जाए छोड़कर
ना जाने और कितनी दहशतों से हलाकान होना बाकी है

अभी खत्म कहां हुए हैं सितम सितमगारों के
ना जाने और कितने इम्तहानों से बेज़ार होना बाकी है

©The_sourabh_baba #बाकी_है
#बाबा_की_कलम_से 
#baba_ki_kalam_se 
#नोजोटो #नोजोटोहिंदी 
#The_Sourabh_Baba

#Lights