#_रावण वाणी_# हूं भक्त राम का पर राम सा नहीं हूं, तुम दरिंदो से बेहतर में रावण ही सही हूं। कभी तोड़ते हो फूल कभी कलिया कुचलते हो, अरे नरक से भी ब्तर है वो राह जिसपर तुम चलते हो। जलाते हो पुतला हर साल हा बुराई का प्रतिक में वही हूं, तुम दरिंदो से बेहतर में रावण ही सही हूं। सीता हरण के बदले एक वानर से स्वर्ण लंका खाक में मिलाई, फिर ओकाद क्या तुम इंसानों की हर बलात्कार पर सिर्फ मोमबत्तियां जलाई। हैरान हूं तुम्हारी परिस्थितियों से और फैसलों से हिन भी हूं, तुम दरिंदो से बेहतर में रावण ही सही हूं।। To Be Continue....... 👺रावण👺 #Morning