कभी जो अगर ख्वाबों को न संजोया होता, कभी जो अगर जज़्बातों को न पिरोया होता, कभी जो अगर नींद न गंवाई होती, कभी जो अगर अपनों से न लड़ाई होती, तो शायद पलकों पे ये भार भी न होता, और इन लफ़्ज़ों से कभी प्यार भी न होता| कभी जो अगर चाँद को न निहारा होता, कभी जो अगर चहरा न कोई प्यारा होता, कभी जो अगर उनपर जान न लुटाई होती, कभी जो अगर वो मिलकर न पराई होती, तो शायद दिल में ये ख़ुमार भी न होता, और इन लफ़्ज़ों से कभी प्यार भी न होता| कभी जो अगर कुसुम पर भँवरा न मंडराया होता, कभी जो अगर कहानियों में इश्क़ न आया होता, कभी जो अगर ग्रंथों में मुहब्बत की बात न आई होती, कभी जो अगर कान्हा से राधा की न जुदाई होती, तो शायद आशिकों में ये जुनून सवार भी न होता, और इन लफ़्ज़ों से कभी प्यार भी न होता|| इस शब्द से जुड़ी एक दास्ताँ लिखें। #अगर #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #ufvoices #vineetvicky #junespirits #लफ़्ज़ोंसेप्यार