समाज ने कतर दिए हैं मेरे सपनों के पंख, एक फ़िगार पंछी की तरह निराश हो गयी हूँ। दिखा दिया है हरेक ने अपना अनदेखा रंग, जीवित इंसान हो कर भी, लाश हो गयी हूँ। 😔😔😔😔😔😔😔😔😔😔😔 TASK :- 2, DAY :- 3 Week :-3, LANGUAGE :- HINDI TOPIC :- EMOTION, THEME :- ANGER Rhyming scheme of ABAB Word 👇🏻 - Meaning 👇🏻