और वो बोले "बेटे थोड़ा काम में लगे हुए लग रहे हो , लेकिन मेरी थोड़ी मदद करदो, कुछ समझ नहीं आ रहा है बेटा कोई समझाता भी नहीं" मैं पार्क की बेंच पर बैठा हुआ था अपनी किताब में उलझा कि तभी मेरा ध्यान तुरंत उन पर गया और मैंने देखा एक अधेड़ उम्र के ताऊ जी खड़े हुए थे ,पहनावे से गांव की मिट्टी से जुड़े लग रहे थे,हमारी वार्तालाप चालू हुई .. मै - बोलिए ताऊ क्या हुआ ताऊजी - बेटा बैंक गया था वो लोग बस बार बार बोलके भगा देते की कैसा अनपढ़ है,बोले कि ' एकबार में समझता नहीं क्या रे ताऊ ,बार बार मत आ, इसके लिए बैंक नहीं है ज़िम्मेदार '। मै- लेकिन बैंक क्यों गए हुआ क्या था ,बताओ आराम से बैठो बेंच में आराम से पहले। ताऊजी- बेटा एक किसान हूं गरीब मैं , अनपढ़ हूं इसलिए छोटे से खेत से खेती कर के जीता हूं और अपने बेटे को पालता हूं मै - क्यों आपकी उम्र हो गई है आराम करने की, बेटे से काम करवाओ न ताऊजी - बेटा , मेरे बाबू को बचपन से लकवा मार गया घर में उस खाट से भी नहीं हील पता,काम कैसे करे बल्कि दवाई का खर्च हर महीने लगता है कि बस बची जिंदगी काट ले अपने बाप के साथ मै - अच्छा आप वैसे क्या बता रहे थे मुद्दे पे आते है , मुझे पढाई भी करनी है ताऊ जल्दी बताओ ताऊजी(कंपकंपाती आवाज़ में) - माफ कर बेटा समय ले रहा तेरा बस ये चिट्ठी पढ़ के बता क्या सही है एक हमारे गांव के लड़के से लिखवाया उसने बोला ये बैंक को दो हो सकता कुछ कार्यवाही हो मै वो सूचना पत्र पढ़ने लगा ... "मै धर्मेन्द्र , गांव हरिंपुर .. मै आज दिनांक **** को पैसा निकालने गया तो बैंक के खाते में कुछ नहीं बता रहा ,बाद में पता चला कि मेरे गांव के एक सेठ जी ने कोई दस्तावेज दिखा के मेरी जायदाद और पैसे निकलवा लिए ,सब उनके नाम हो गया, लेकिन मै इतना बूढ़ा नहीं हूं कि याद ना रहे की वो दस्तावेज पे अंगुंठा मैंने उनके भरोसे पे लगाया था कि वो मेरे खाते में पैसे डालने वाले थे कर्ज के रूप में क्योंकि मुझे मेरे बेटे के इलाज के लिए और खेतो के लिए दाने खरीदना था,अब पता चला वो दस्तावेज अलग है, मुझे मेरे मेहनत की कमाई देदो साहब उनसे बोलके, मैं नहीं तो भूखे सड़क पे आ के मर जाऊंगा, पुलिस के पास गया तो कहती की ताऊ वो बड़ा सेठ है खुद पैसा उसके नाम करके उनको फंसा मत नहीं तो तुझे जेल डाल दूंगा तेरे बेटे को भी, भला मै कैसे सेठ जी को बदनाम करूंगा मेरी हैसियत क्या ? पैसा लौटा दो साहब जी " ये पढ़ के में अपने आंसू नहीं रोक पाया , मैंने ताऊजी को शहर के पुलिस स्टेशन ले जाके complaint डलवाई क्योंकि गांव की पुलिस भी मुझे सेठ के साथ मिली हुई लगी, फिर चला गया आंसू छिपाते कि कोई जिम्मेदारी नहीं लेगा ताऊजी को तो ठगा गया है अब शायद ही इनको मेहनत की कमाई वापिस मिले , सालों को पुलिस कार्यवाही में ही ये बाकी ज़िन्दगी काट लेंगे, मालिक इनकी और खासकर उनके परेशान हाल बेटे की मदद करे कहते हुए चल पड़ा सोचते हुए रास्ते भर की मैं तो छोटी सी बात लिए किताबो में उलझता हूं तो बवाल मचा देता हूं यहां तो एक गरीब की किताबों(पढ़ाई) के अभाव में पूरा जीवन उलझ के रह गया और वो नादान अब भी आंसू छिपाए जी रहा उमीद में कि कोई शहरी बाबू मदद करेगा कभी , वाह रे ज़िन्दगी :-).... #Vo_mere_pass_aaye #Emotional #Ehsaas #Story #heart_touching #NojotoHindi #NojotoApp #padhayi chintaman dubey