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भव भेषज रघुनाथ जसु सुनहि जे नर अरू नारि। तिन्‍ह

भव भेषज रघुनाथ जसु सुनहि जे नर अरू नारि। 

तिन्‍ह कर सकल मनोरथ सिद्ध करहि त्रिसरा‍री।। 

रामचरितमानस को तुलसी दास ने इस तरह लिखा है कि उसके पाठ से आप सारी मनोकामनाएं पूरी हा जाती हैं। मगर इस चौपाई में यह खासियत है कि अगर आप इसका रोज पाठ करेंगी तो आपकी कोई ऐसी मनोकामना पूरी होगी जिसके पूरे होने की कामना आप बहुत दिनों से कर रही हैं। इसलिए आपको अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए हमेशा इस चौपाई का पाठ करना चाहिए।

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