" शेर " लोग तो समंदर भी तैर कर पार कर लेते हैं, और एक मैं हूँ तेरी आँखों में ही डूब जाता हूँ। " ग़ज़ल " दिल की तमन्ना है कि इश्क़ में बरकत हो, इसी उम्मीद में हैं वहाँ से कोई हरकत हो। यूँ ही नहीं मिल जाता हम-सफर किसी को, कायनात भी बोली, पहले थोड़ी मशक्कत हो। हम तो उन्हें देखते ही सकते में आ जाते हैं, ऐसा भी हो कभी वो देखें हमे और हैरत हों। इश्क़ मुक़म्मल ना हो तो इतना सबक ज़रूर मिले, अगली दफ़ा करने से पहले दिल में वहशत हो। हमारे हर काम में तुम्हारा ही ज़िक्र होता आया है, तरीका बदलो ज़रा,तुम्हे हमारी थोड़ी तो आदत हो। तुमने तो दिल से निकाल दिया बिन इत्तला किए, हम भी निकालेंगे , तब ,जब तुम्हारी इज़ाज़त हो। दिल का दरवाज़ा तो हमेशा खुला रखेंगे हम , आ जाना मेरी जाना! जब तुम्हे फ़ुरसत हो। तुम तो इक़ अर्से से निहार रहे हो उसे " सोमेश ", आज देखी वो जैसे बदल गई तुम्हारी किस्मत हो। --सोमेश गौर #बरकत