ऐ मेरे प्यारे बिस्तर- ढोता है मेरे भारी सरीर का बोझ तु अपने उन मुलायम कंधोपर, बिन किए प्रश्न, बिन किए फरियाद पड़ा रहता है अक्सर एक कोनेपर l कभी नहीं किया तुने मुझसे कोई भी शिकायत, मेरा सच्चा साथी तु करता है सदा मेरी हिमायत! थका हारा जब भी मैं आया तुने मुझे सहारा दिया, हर बुरे सपने के दौरान तुने मुझे सुरक्षा-पहरा दिया, तेरे कम्बलोंको बाहों में भरकर गुजरी है मेरी वो सर्दी की रातें, तेरे तकिये का नरम सहारा पाकर हुई है मेरी वो ख्वाबों से मुलाकातें! एक सुकून है तुझमे ऐ मेरे बिस्तर राहत पहुंचती है थके दिलको: तेरे छुवन भरसे, मिनट भरका तुझमे आराम फरमाकर हो जाता हूँ उन्मुक्त मैं हर शंका हर डरसे! ऐ मेरे प्यारे बिस्तर- ढोता है मेरे भारी सरीर का बोझ तु अपने उन मुलायम कंधोपर, बिन किए प्रश्न, बिन किए फरियाद पड़ा रहता है अक्सर एक कोनेपर l कभी नहीं किया तुने मुझसे कोई भी शिकायत,