धूप बारिश सर्द महसूस नहीं होती तुझे मिट्टी ही तेरा भगवान है। बारिश के इंतजार में हर पहर आसमान को ताकत है अब वो भी इन कमजोर आंखो से धुंधला दिखता है। तेरी फसल जो धान बन भी गई जानी तो मंडी ही है। बिकेगी कोडियो के भाव या नहीं भी बीकेगी इस बार भी अगर खाली हाथ ही लौटने को कहे तो फैला देना धान को मंडी किं सड़कों पर बहा दे दूध की नदिया मिट्टी में तू चीख तू चिल्ला की हर मंत्री महोदय को कुर्सी हिलनी चाहिए की तेरे बदन का पसीना उनका हलक सूखा दे की हर रस्सी पर झूलती लाश का खून उनकी बंगलो की छतों से टपकने लगे इतनी जोर से आह भरना की सूदखोर बहरे हो जाए तेरी आवाज़ उठनी चाहिए ।। अनुष्का ढाका #mandi