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दुनियाँ कभी समझ में नही आई आज खुद में ही सिमटने

दुनियाँ कभी समझ में नही आई 
 आज खुद में ही सिमटने लगी हूँ 
पोंछ कर  अपनी पलको से आँसू 
 खुद को फिर से सम्भालने लगी हूँ 
कौन हूँ ,मैं क्या हूँ ,कुछ पता नही 
ख़ुद में अपना अस्तित्व ढूंढने लगी हूँ 
चल पड़ी हूँ फ़िर से एक नई राह पर 
चलते हुए   मंज़िल को ढूंढने लगी हूँ 
मौत इतने क़रीब खड़ी है मेरे 
खुद से ही पूछने लगी हूँ 
शायद दुनियाँ देखी नही कभी 
 सामने भीड़ देखकर डरने लगी हूँ   
कभी तो जंग खुद से जीतेंगे हम 
पर आज ख़ुद से हारने लगी हूँ

©Dr Manju Juneja #दुनियाँ #पलके #सिमटने #राह #अस्तित्व #खबर #मंज़िल #भीड़ #
#जंग 
#lost
दुनियाँ कभी समझ में नही आई 
 आज खुद में ही सिमटने लगी हूँ 
पोंछ कर  अपनी पलको से आँसू 
 खुद को फिर से सम्भालने लगी हूँ 
कौन हूँ ,मैं क्या हूँ ,कुछ पता नही 
ख़ुद में अपना अस्तित्व ढूंढने लगी हूँ 
चल पड़ी हूँ फ़िर से एक नई राह पर 
चलते हुए   मंज़िल को ढूंढने लगी हूँ 
मौत इतने क़रीब खड़ी है मेरे 
खुद से ही पूछने लगी हूँ 
शायद दुनियाँ देखी नही कभी 
 सामने भीड़ देखकर डरने लगी हूँ   
कभी तो जंग खुद से जीतेंगे हम 
पर आज ख़ुद से हारने लगी हूँ

©Dr Manju Juneja #दुनियाँ #पलके #सिमटने #राह #अस्तित्व #खबर #मंज़िल #भीड़ #
#जंग 
#lost