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चाँद तुम्हारे गलियारे से आता जाता होगा भी, रोज शाम

चाँद तुम्हारे गलियारे से आता जाता होगा भी,
रोज शाम खिड़की पर आकर के मुसकाता होगा भी ।
फिर क्यों मेरे दिल की हसरत तुम तक पहुँच नही पायी,
रोज चाँद इस दिल की हालत तुम्हे सुनाता होगा भी ।।

©RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'
  #चाँद 
#कविता