सृजन ने मेरे आंसू पोछे और धीरे से बोला" पता है जब कोई पहली बार किसी से मिलता है या किसी के घर जाता है तो उसे खाली हाथ नहीं विदा करते" "उसे विदा करते वक्त कुछ तोहफे भी देते हैं" "मैं भी तो तुमसे पहली बार मिला हूं और मैं खाली हाथ नहीं जाना चाहता" "तुम मुझे अपने सारे आंसू तोहफे में दे दो" "मैने कुछ कहा नहीं ढलते हुए सूरज की तरफ देखती रही" "सृजन ने धीरे से अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दिया" "मुझे ऐसा नहीं लगा जैसे उसने मुझे छुआ हो" "ऐसा लगा जैसे किसी ने रूह छू लिया हो" "मैं अब भी ढलते हुए सूरज की तरफ देख रही थी" "उसने भी सूरज की तरफ देखते हुए मुझसे कहा"-"चाहत मै इस पल को हमेशा के लिये तो नहीं रोक सकता मगर इस एक पल में मैंने एक उम्र जी लिया" मेरी लिखी कहानी"सृजन की चाहत"के कुछ अंश ©Chanchal Chaturvedi #सृजन_की_चाहत #Chanchal_mann #Hum