हर तरफ भीड़ है ज़िंदा लाशों का मेला है कदम कदम पर फूल है रौंदने वालों का रेला है रिश्ते नाते दोस्त दुश्मन हज़ारों की गिनती है जाने आदमी क्यों अकेला है भीड़ है हर तरफ़ ही मेला है... आदमी फिर क्यों अकेला है? #आदमीअकेलाहै #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi