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ये अल्फाज मेरे उगल देते हैं आग अगर तुम सुन सको झो

ये अल्फाज मेरे उगल देते हैं आग
अगर तुम सुन सको
 झोंके हवा के गुमसुम कर देते हैं
 अगर तुम चुन सको
 यह लोग बड़े हैं बड़े हैं इनके सानो शौकत
अगर तुम ऊंचाइयां इनकी गिन सको

चारों दिशा आंखें फेरना,तुम बाज नहीं
अटल हौसले भी पत्थर कर देते हैं
जरा संभलते साहिबे आलम कर देते हैं
सुनसान वीरान बस्ती
कर रही लोहा गरम
चोट मारती कर रही तपन
खुद के गहरे  काले घेरे
नरम जख्म 
साये  में भी चमकती हैं आंखें
चंद्रमा के समक्ष
घीस रही वीरान अमावस्या
बिना हलचल में जिए 

#Yãsh🖊 #poem #poetry #hindipoem #2020 #emotion #thoughts #thinking #deep #night
ये अल्फाज मेरे उगल देते हैं आग
अगर तुम सुन सको
 झोंके हवा के गुमसुम कर देते हैं
 अगर तुम चुन सको
 यह लोग बड़े हैं बड़े हैं इनके सानो शौकत
अगर तुम ऊंचाइयां इनकी गिन सको

चारों दिशा आंखें फेरना,तुम बाज नहीं
अटल हौसले भी पत्थर कर देते हैं
जरा संभलते साहिबे आलम कर देते हैं
सुनसान वीरान बस्ती
कर रही लोहा गरम
चोट मारती कर रही तपन
खुद के गहरे  काले घेरे
नरम जख्म 
साये  में भी चमकती हैं आंखें
चंद्रमा के समक्ष
घीस रही वीरान अमावस्या
बिना हलचल में जिए 

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Yãsh BøRâ

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