गेहूं की पकी पीली ये बालियां हवा के मंद मंद चलने से इनकी ये किलकारियां मनमोहक है मनभावन है जी करता है इस पेड़ की छाव में मंद पवन की बाहों में अपनी महीनों की मेहनत को यूं ही देखता रहूं मैं देखता रहूं मन में भाव अपूर्व है मानो ये मेरी ही रूह है कहना तो चाहता हूं बहुत कुछ पर शब्द नहीं मैं क्या कहूं इससे अच्छा तो मैं मौन रहूं.. मैं मौन रहूं मैं मौन रहूं लेखक_ अनूप पंडित ©Anup pandit #story #story