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कोई मुझसे मिलने से कतरा रहा है ज़माने का डर है या श

कोई मुझसे मिलने से कतरा रहा है
ज़माने का डर है या शरमा रहा है

मेरे लफ़्ज़ सारे हवा हो रहे हैं
वो शायद मेरे ख़त को सुलगा रहा है

मैं पत्थर को छू लूँ तो इंसान कर दूँ
मगर राम बनने में घाटा रहा है

बहल जाता है झूठे वादों से अक्सर
मेरा दिल हमेशा ही बच्चा रहा  है

वजह डूबने की तुम्हे क्या बताऊँ
कोई बोझ पत्थर सा चिपका रहा है

मिरे ज़ख़्म सारे हरे हो रहे हैं
मुझे मेरे माज़ी का ग़म खा रहा है

अभी दाँत ज़हरीले निकले नहीं और
सपोला परिंदों को धमका रहा है पुरानी ग़ज़ल का मतला और एक शेर के साथ कुछ नए शेर जोड़े है 
#yqdidi #bestyqhindiquotes #राम #बच्चा #लव #विशालवैद #vishalvaid
कोई मुझसे मिलने से कतरा रहा है
ज़माने का डर है या शरमा रहा है

मेरे लफ़्ज़ सारे हवा हो रहे हैं
वो शायद मेरे ख़त को सुलगा रहा है

मैं पत्थर को छू लूँ तो इंसान कर दूँ
मगर राम बनने में घाटा रहा है

बहल जाता है झूठे वादों से अक्सर
मेरा दिल हमेशा ही बच्चा रहा  है

वजह डूबने की तुम्हे क्या बताऊँ
कोई बोझ पत्थर सा चिपका रहा है

मिरे ज़ख़्म सारे हरे हो रहे हैं
मुझे मेरे माज़ी का ग़म खा रहा है

अभी दाँत ज़हरीले निकले नहीं और
सपोला परिंदों को धमका रहा है पुरानी ग़ज़ल का मतला और एक शेर के साथ कुछ नए शेर जोड़े है 
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vishalvaid9376

Vishal Vaid

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