निज अवगुण मैं देख सकूँ , प्रभु देना ऐसा ज्ञान। अहंकार के वशीभूत , मैं न करुँ कोई काम ।। तेरे आगे ही शीश झुके , प्रभु रखना इतना मान । और हर मुश्क़िल से लड़ने का , मुझे आता हो विज्ञान ।। सत्कर्मों को समझ सकूँ , प्रभु रखना इतना ध्यान । कमल चरण मन में रहें , और हृदय में हों श्री राम ।। तुमसे ही ये श्वास चले , प्रभु करना मत अंजान । तेरी इस सुन्दर छवि को मैं ,प्रतिदिन करुँ अंतर्ध्यान ।। -Deepanshi Srivastava✍ #prabhu