गलतफहमियां बहुत थी दिल मे, अब उसका मुस्कराकर देखना ही देख लो। ऐसा लगता है जैसे….सबसे बड़ी गलतफहमी है मेरी, लेकिन जब वो पलके झुकाकर शरमाती है, लगता है वही आसमा वही जमीं है मेरी। यू तो कभी उसने कुछ कहा नही। और मैं भी उसे बिना देखे कभी रहा नही। वो भी तड़पती होगी देखने को मुझे। ऐसा लगता है जैसे….सबसे बड़ी गलतफहमी है मेरी, मैं भी चुप हूँ,कभी कुछ नही बोला। ये शायद मेरे संस्कार नही, कमी है मेरी मुझको देखकर , उसके अचानक भावो का बदल जाना। इसको भी मैंने, उसका मेरे लिए हसीं इशारा माना। वो भी चाहती थी कुछ कहना, कुछ सूनना चाहती है मुझसे भी, ऐसा लगता है जैसे….सबसे बड़ी गलतफहमी है मेरी, मेरी उम्मीदें अब जानती सच्चाई और आशाएं सहमी सहमी है मेरी। उसकी आवाज सूनना पसंद था मुझे जो लफ्ज वो किसी और के लिए बोलती थी। मुझे लगता था मुझे सुनाने की कोशिश की थी उसने ऐसा लगता है जैसे….सबसे बड़ी गलतफहमी है मेरी, गलतफहमी का राज खुला ही है अभी धड़कने मानो थमी थमी है मेरी। ऐसा लगता है जैसे….सबसे बड़ी गलतफहमी है मेरी, Galatfahmiya full poem #santosh_bhatt_sonu