कलम की शक्ति
अदब सीखना है तो कलम से सीखे जब भी चलती है सर झुका कर चलती है छोटी पर किसी की मोहताज नहीं इसकी सल्तनत बहुत बड़ी है। अकेले ही सुल्तान है। गोलियों से चिंगारियां निकालती है पर कलम अपनी लिखने की ताकत से अंगार बरसा देती है। यह एक जलजला है एक फलसफा है ये ना हिंदू ना मुसलमान न सिख न इसाई है। यह तो ज्योति इलाही है। इसके चलने से समाज बदलता है शत्रुता मिटती है क्रांति आती है प्यार बढ़ता है हर भाषा को लिखने में निपुण हर विषय में पूर्ण अपनी नोक पर हर विषय को रखती है यह मनोवैज्ञानिक अंधविश्वास साहित्य, धार्मिक, आध्यात्मिकता पर लिख लेती है। ना किसी से रिश्ता नाता फिर भी सबकी दिलों की दास्तां बयां कर देती है। जज्बातों को बेहतरीन आवाज देती है।
न जाने यह छोटी सी कलम कितने काम कर लेती है ।सुख-दुख के हर पहलू जज्बात दर्द ,खलिश अफसोस ,प्यार ,इजहार बयां करती है। दुनिया के इस कोने से उस कोने तक दिलों की एक रूहानी आवाज है। जो बात जुबान बयां नहीं कर सकती कलम कर देती है सदियों से चली आ रही ना रूकती ना थकती है कभी कबीर के हाथों में तो कभी नानक के हाथों में कभी इस देश के भविष्य बालकों के हाथों में यह चलती है।
दुनिया की अनेक चुनौतियों को अकेली ही झेल लेती है। चाहे वह औरतों पर अत्याचार हो शासन के दुशासन से चोरों से लुटेरों से भ्रष्टाचारियों को अपनी मौत से सबक सिखाती है ।यह रिश्ते को तोड़ना और जोड़ना भी खूब जानती है ।छोटी सी है पर तनकर चलती है। इंसान कितना भी कमजोर हो जाए पर यह ना थकती है। ना रूकती है यह हालातो के हारो को ताकत प्रदान करती है।