काश मैं उस दिन घर रुक गई होती किसी कोठरी में जाके छूप गई होती काश इंसानो पर मैं यकिन ना की होती तो आज लाज खो कर मेरी रुह ना रोती मेरी चीख से सांसों का इस कदर टूट जाना ओझल होता जहां फिर सबसे मेरा रुठ जाना जिन्दगी जीने की चाहत को दर्द में समेटकर शादी का जोड़ा छोड़ बेवक्त कफ़न लपेटकर ऐसे जाने का मेरा बिल्कुल भी मन ना था मां बेटी बन पैदा हुई शायद यही गलती कर दी हां ? कोई मुझे जलाने क्यूं नहीं आया घर से पापा लावारिश जैसे जलाने वालों का हाथ ना कांपा इतने बेरहम भी होंगे लोग ये मैंने सोचा ना था कभी किसी के जिस्म को ऐसे मैंने नोंचा ना था फिर क्यूं हम जैसों पर इतना जूल्म ढल रहा है बालात्कार का तो लगता है जैसे दौर चल रहा है फिर तो बेटीयों को कोख में मारने वाले ही सही है कम से कम ऐसे हालात से दूर दर्द में तो नहीं है काश मुझे नग्न देख उनकी नजरें झूक गई होती ऐ खुदा काश मैं उस दिन घर रुक गई होती ©Praveen Rai ( Anjaan musafir ) #HathrasRapeCase #verypainfull #Behan #Betiyan #ijjat #laaj #Rape #government