खट्टी-मीठी ज़िंदगी मैं मना लुंगी तुम्हें, तुम रूठोगे क्या, थोड़ा सा चिढ़ाऊंगी तुम्हें, तुम सह लोगे क्या, यूं ही खट्टी-मीठी ज़िन्दगी जिएंगे हम-तुम हाथ आगे बढ़ाऊंगी मैं, उम्र भर थामोगे क्या। #खट्टी #मीठी #ज़िन्दगी