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कमाल की बात बताऊं (अनुशीर्षक में पढ़ें) ©Roopanjal

कमाल की बात बताऊं
(अनुशीर्षक में पढ़ें)

©Roopanjali singh parmar क्या तुम्हें तैरना आता है..?
दरअसल, मुझे किनारे तक जाना है।
हा-हा..
अरे नहीं..!
मज़ाक था.. मुझे तैरना आता है..
इस गहरे समुंदर में लहरों से खेलती हुई मैं किनारे तक जा सकती हूँ।
मगर सच कहूँ तो अब समुंदर से बाहर आना मुझे असहज कर रहा है। मैं डूब जाना चाहती हूँ.. शायद हमेशा-हमेशा के लिए समुंदर की गहराई में खो जाना चाहती हूँ।
मैं वापस अब किसी को मिलना नहीं चाहती।
कमाल की बात बताऊं
(अनुशीर्षक में पढ़ें)

©Roopanjali singh parmar क्या तुम्हें तैरना आता है..?
दरअसल, मुझे किनारे तक जाना है।
हा-हा..
अरे नहीं..!
मज़ाक था.. मुझे तैरना आता है..
इस गहरे समुंदर में लहरों से खेलती हुई मैं किनारे तक जा सकती हूँ।
मगर सच कहूँ तो अब समुंदर से बाहर आना मुझे असहज कर रहा है। मैं डूब जाना चाहती हूँ.. शायद हमेशा-हमेशा के लिए समुंदर की गहराई में खो जाना चाहती हूँ।
मैं वापस अब किसी को मिलना नहीं चाहती।