उस रोज़, जब थामा था तुमने हाथ, यूॅं न जानती थी, प्रेम के नए रंगो में रंगूॅंगी, यूॅं न जानती थी। नाम तुम्हारा मेरी किस्मत की लकीरों में तुमने ही पढ़ा, मैं भी मानूॅंगी मन्नतें, यूॅं न जानती थी। तुम संग अपने, ब्याह की कुछ हसीं यादें, मैं बटोर ही रही थी, कुछ पल का है साथ, यूॅं न जानती थी। यूॅं तो हूॅं देशप्रेमी भी, पर तुम्हारा प्रेम मेरी आँखों में, तुम्हारे जाने के ख़्याल से, छलकेंगी नदी भी, यूॅं न जानती थी। "कृपया अधिक अनुशीर्षक में पढ़ें।" 01/15 उस रोज़, जब थामा था तुमने हाथ, यूॅं न जानती थी, प्रेम के नए रंगो में रंगूॅंगी, यूॅं न जानती थी।