अब तक कहां मसरूफ था मीठे इश्क का मुसाफ़िर... कभी बिखरा कांच हुआ करता था मैं भी ए-मुसाफ़िर... कहानियां ही सुन रखी थीं अब तक हमने इश्क की, मेरा सफ़र मुकम्मल कैसे करूं मैं बनकर मुसाफ़िर... #जज़्बाती #rahul_rhs #NojotoQuote