रंग सांवला (Part-2) सच्ची कहती थी माई मेरी की बच्चे रब की सौगात है अब समझ आया तो ये बात है। तु सुन रहा है ना रब गल मेरी सोचा था की अब जिंदगी गयी बदल मेरी। रबा तेरा बच्चा अब जवान होण लगा है, तूने क्या क्या कमियाँ छोड़ी मेरे में मेनू सब अनुमान होण लगा है। मेरे रंग साँवले करके सभी लोकी दूर हो गये, सुन -सुन ताने लोका दे मेरे कन मुझसे नाराजगी को मजबूर हो गये। बड़े न्याय वाला काम करदा तु तो मेरे वक़्त तेरा कोंणसा तंग होके काम रुक गया सी , सबनु देते चाम गोरे , तो मेरे वक़्त कोंणसा तेरा गोरा रंग मुक गया सी। तु नहीं समझता रबा मेरे इथे लोड दिल दी नी रंग की है, मैं होऊ भी क्यूं ना नाराज़ तुझसे कली रहके कदे कदे मरणे नु जी करदा कुछ तो लोड अच्छे दोस्त संग की है। तेनु ऊपर बैठे नु सब चंगा लगदा कदे कोल बहके वेखी मेरे दुनियाँ की भीड़ में , तेनु सब पता लगजु सानु की की पंगा लगदा। तु दिल दी छोड़ मेनू दे देता चंगा चेहरा वे ओ मेरे रबा मैं रह गयी हाँ कली इथे कोई नी होणा मेरा वे, इथे लूट रहा रंग गोरा दुनियाँ नु , साढा होणा किथे बसेरा वे - साढा होणा किथे बसेरा वे ।। ©Sunildhayal 2022 rang sanvla part-2 #poem #Poetry #Hindi #writer #sunildhayal2022 #nojohindi #Nojoto