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Alone सोचने की आदत मुझे उत्तेजित करती है जब जब मै

Alone  सोचने की आदत मुझे उत्तेजित करती है जब जब मैं आईना बन कर खुद को देखू
माना कि लोग आजकल सीने की आग एक दूसरे में ही उगल देते हैं
सोचा इनपे ही चाल चलन इनके पैंतरा बनाकर फेकू
ना मैं परिंदा कोई 
आसमान की गहराइयों में चमकू
आंखें भले ही रहती याद में नम
पर इतना भी बुज़दिल नहीं कि अंधेरे में इन्हें सेकु
हर चेहरे याद 
हर शख्सियत
ना भूले जा सके दाग धब्बे
वक्त कभी उनका गुलाम था
अब सिर्फ रह गए टके खंबे
तुम कठपुतली कहा करते थे
यह शब्द अब तुम्हारे लिए बेहतर जमते

#Yãsh🖊 #poem #poetry #emotion #thoughts #thinking #2020
Alone  सोचने की आदत मुझे उत्तेजित करती है जब जब मैं आईना बन कर खुद को देखू
माना कि लोग आजकल सीने की आग एक दूसरे में ही उगल देते हैं
सोचा इनपे ही चाल चलन इनके पैंतरा बनाकर फेकू
ना मैं परिंदा कोई 
आसमान की गहराइयों में चमकू
आंखें भले ही रहती याद में नम
पर इतना भी बुज़दिल नहीं कि अंधेरे में इन्हें सेकु
हर चेहरे याद 
हर शख्सियत
ना भूले जा सके दाग धब्बे
वक्त कभी उनका गुलाम था
अब सिर्फ रह गए टके खंबे
तुम कठपुतली कहा करते थे
यह शब्द अब तुम्हारे लिए बेहतर जमते

#Yãsh🖊 #poem #poetry #emotion #thoughts #thinking #2020
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Yãsh BøRâ

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