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मेरी अब यह पसंद बन गयी है कवि न होते हुए , अब मै क

मेरी अब यह पसंद बन गयी है
कवि न होते हुए , अब मै कविवर बन गया हु
क्या है दिल में,दिल से यही एक आवाज बन गयी
अब क्या कहु मै , अब तू मेरी एक चाह बन गयी
शायद कुछ गम दिल में,अभी भी खोये हुए है

©RAHUL Nitin GUPTA
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