मोल भाव तो वो अपनी शान समझते होंगे,, जो इश्क़ को बनिये की दुकान समझते होंगे,, मैं हेरान हु ये सोच कर उन लोगो के बारे में !! जो लोग तेरे लबो को मीठा पान समझते होंगे,, सुनो मैं तुमसे अलग समझता हूं अब खुद को,, शहर में अब भी तुम्हे मेरी जान समझते होंगे!! फिर दर्द और तन्हाई कैसे मार देती है विपिन,, गांव में अकेले पड़े बंद मकान समझते होंगे!! मुल्क में हिन्दू मुसलिम सिख ईसाई कोई ना रहे,, रहे वो बस जो मुल्क को हिंदुस्तान समझते होंगे!! Zikr Ek @√ #cycle