bench शहर की दौड़ - धूप देखकर अब गॉंव की शांत गलियाॅं याद आती हैं भंवरों का गुंजन याद आता है फूलों की कलियाॅं याद आती हैं बैठे - बैठे अक्सर यूंही हॅंस देते हैं हम बचपन की जब अठखेलियाॅं याद आती हैं बहुत याद आता है कई दफा गाॅंव गेहूॅं के खेत,मूंग की फलियाॅं याद आती हैं कई बार बेरी के मीठे बेर याद आते हैं कई बार खट्टी-खट्टी इमलियाॅं याद आती हैं जिनको पकड़कर चलना सीखा है हमने मम्मी-पापा की वो उंगलियाॅं याद आती हैं ©Anoop Kumar Mayank Anoop kumar mayank's poetry 😊❤️💫💯 #anoopkumarmayank #anoopindergarh #Bench