हमे थी मिलने की चाह ऊसकी, पर मोहब्बत की ना थी उसकी. वो आते थे, मिलते थे, बातें करते थे हरघङी, क्या करे... गहरी दोस्ती में हा थी उसकी. पर हम भी कहा मानते थे हार, वो गहरी दोस्ती मे ढूंढ लेते थे प्यार. सोचा कह दू, चाहता हूं तुझे, हींमत नही हुई, कोशिश की थी कई बार. आज भी है वो साथ मेरे, नाराज नहीं है, मिला बहुत जो चाहता था कभी, बस यही एक सौगात नही है. कर लेते हैं बातें कभी, अब इतनी मुलाकात नहीं है, पर कम्ब्खत ये बातो में वो बात नहीं है. #love #friendship #poem #abwobaatnahihe