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शिकस्त कुछ यूं मिली है मुझे, की अब खुद में सुलझे

शिकस्त कुछ यूं मिली है मुझे,

की अब खुद में सुलझे सुलझे से लगते है।

समेट भी ले खुद को तो क्या, 

यहाँ ओर भी बिखरे है दिलो के  टुकड़े,

वो भी मुझे अपने अपने से  लगते है।। शिकस्त कुछ यूं मिली है मुझे,
की अब खुद में सुलझे सुलझे से लगते है।
समेट भी ले खुद को तो क्या, 
यहाँ ओर भी बिखरे है दिलो के  टुकड़े,
वो भी मुझे अपने अपने से  लगते है।।
#shikast
#dil
#tukde
शिकस्त कुछ यूं मिली है मुझे,

की अब खुद में सुलझे सुलझे से लगते है।

समेट भी ले खुद को तो क्या, 

यहाँ ओर भी बिखरे है दिलो के  टुकड़े,

वो भी मुझे अपने अपने से  लगते है।। शिकस्त कुछ यूं मिली है मुझे,
की अब खुद में सुलझे सुलझे से लगते है।
समेट भी ले खुद को तो क्या, 
यहाँ ओर भी बिखरे है दिलो के  टुकड़े,
वो भी मुझे अपने अपने से  लगते है।।
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