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तेज हवाओं का साथ पाकर भी नहीं छू सके मुझे धूल के घ

तेज हवाओं का साथ पाकर भी नहीं छू सके मुझे धूल के घेरे,


कुछ लोग साज़िश रचते हैं मेरी आँखों में धूल झोंकने की।

--निखिल की कलम से। #2_Line_Shayree
तेज हवाओं का साथ पाकर भी नहीं छू सके मुझे धूल के घेरे,


कुछ लोग साज़िश रचते हैं मेरी आँखों में धूल झोंकने की।

--निखिल की कलम से। #2_Line_Shayree
nikhilkumar6445

Nikhil Kumar

New Creator