नई-नई साड़ियाँ, श्रृंगार का सामान, बाजार में बड़ी चौल है। सुनो जी! करवाचौथ है। भरे-भरे हाथ हैं, मेंहदी की बहार है, खुशबू से बाजार सराबोर है। सुनो जी! करवाचौथ है। खुशबू घर में फैली है, पकवानों की बहार है, सुबह से भूखे-प्यासे हैं। सुनो जी! करवाचौथ है। सुर्ख जोड़ा पहना है, पहने नथ और हार हैं, घर जल्दी आने की गुहार है। सुनो जी! करवाचौथ है। सब दुल्हन बन छत पर जा बैंठी, हलवा-पूड़ी, छलनी हाथ हैं, अर्क देने चाँद का इंतजार है। सुनो जी! करवाचौथ है। नखरे करके आयें हैं, गुस्से में बड़े लाल हैं, अर्क और भोग से मनाएंगे। सुनो जी! करवाचौथ है। ©Hemlata Verma #माँ शारदे को नमन👏 #विषय-करवा चौथ #विधा-कविता #दिनांक-२४/१०/२०२१ #शीर्षक-सुनो जी! करवाचौथ है नई-नई साड़ियाँ,