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जब भी तेरी यादें पलक खोलतीं हैं। क़श्तियाँ ख़्याल

जब भी तेरी यादें पलक खोलतीं हैं।
क़श्तियाँ ख़्याल की साँसों में डोलतीं हैं।
लफ़्ज़ तोड़ देतें हैं ख़ामोशी अपनी-
मंज़िलें भी तेरा ही नाम बोलतीं हैं।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

©Mithilesh Rai #InternationalTeaDay
जब भी तेरी यादें पलक खोलतीं हैं।
क़श्तियाँ ख़्याल की साँसों में डोलतीं हैं।
लफ़्ज़ तोड़ देतें हैं ख़ामोशी अपनी-
मंज़िलें भी तेरा ही नाम बोलतीं हैं।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

©Mithilesh Rai #InternationalTeaDay