अँधेरा है दिल में तो बाहर उजाला कहाँ से लाएंगे गमों को छिपाकर कबतक हम दबी-दबी होठों से मुस्कुरायेंगे माना ये दुनिया काफी समझदार है फिर हम जैसे नादान इस दुनिया में कैसे टिक पाएंगे उलझ चुके है कुछ इस कदर रिश्तों की कश्मकश में अच्छे - बुरे का फर्क फिर हम क्या बता पाएंगें अँधेरा है इस दिल में तो उजाला बाहर कहाँ से लाएंगे.....!! ©Sanskriti Singh #Trending #trend #Nojoto #Quote #poem #rimmikishayari