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krishna vani अपर्याप्तं तदस्माकं बलं भीष्माभिरक्ष

krishna vani 
अपर्याप्तं तदस्माकं बलं भीष्माभिरक्षितम्‌।
 पर्याप्तं त्विदमेतेषां बलं भीमाभिरक्षितम्‌॥

भावार्थ:
भीष्म पितामह द्वारा रक्षित हमारी वह सेना सब प्रकार से अजेय है और भीम द्वारा रक्षित इन लोगों की यह सेना जीतने में सुगम है
 ॥10॥

©AB SINGH 007 श्लोक -10

#God
krishna vani 
अपर्याप्तं तदस्माकं बलं भीष्माभिरक्षितम्‌।
 पर्याप्तं त्विदमेतेषां बलं भीमाभिरक्षितम्‌॥

भावार्थ:
भीष्म पितामह द्वारा रक्षित हमारी वह सेना सब प्रकार से अजेय है और भीम द्वारा रक्षित इन लोगों की यह सेना जीतने में सुगम है
 ॥10॥

©AB SINGH 007 श्लोक -10

#God