बिदाई के दिन जिगर का टुकड़ा होती है बिटिया, जन्म होने पर क्यों शोक होती है बिटिया... निर्मल संस्कारों की छाँव में पलती है बिटिया, मगर बेटे की आस में क्यों खलती है बिटिया... चंचल पवित्र हृदय-सी होती है बिटिया, मगर बेटों से परे क्यों होती हैं बिटिया... कंधे से कंधा मिलाकर चलती है बिटिया, मगर उम्मीदों पर खरा उतरती है बिटिया... घर के आँगन में लगा तुलसी का पौधा होती है बिटिया, मगर बेटे की आस में कोख में हुआ सौधा होती है बिटिया... अपने हरेक ख्वाब को तोड़कर मुस्कुराती है बिटिया, मगर बाबुल की रौनक हर वक्त सजाती है बिटिया... @Rahul_Raikwar ©जज़्बाती कलम #बेटियां #beti #Bachao #Betiyan #Trending #story #poem #kavita #TakeMeToTheMoon