कैसी मेरे है ये मजबूरियां खाली पडा है अपना घर और अपनो से है दूरियां।। यादों में मै राते काटता दिन में हैं पेटो की मजबूरियां अनमोल सी जिंदगी यू तबाह हो गये कश्म कश ये जिंदगानिया।। कैसी मेरे है ये मजबूरियां खाली पडा है अपना घर और अपनो से है दूरियां।। याद आता है वो मेरे अपने धर जिस मिट्टी मे मेरे रग रग है समाया