the virtual love The virtual love आज बहुत दिनों बाद पुरानी इन्ग्लिश का डायरी खोली तो वो गुजरा हुआ लम्हा आँखो मे फिर से उत्तर आया . और पुरा शरीर काप सी गया और आँखो से आसु ट्पकने लगे. बात 9वी के बाद 10वी की है ..school की पहली class थी मै लगभग 1km दुर से cycle से school जाता था . class मे entry करते हि मेरे friend चिल्लाये आबे तेरी चैन खुली है ! मैं क्या करता झटके से ध्यान किया ! फिर उन्होने दुबरा से बोले अबे यार bag की chain .फिर पुरी class हसने लगी ..और कोई मुस्कुरा रहा था. तो वो थी आशि. मैंने जैसे ही उसके तरफ देखा वो भी मुस्कराना बन्द कर दी. कुछ दिनों ऐसे ही class चलती रही. कुछ अलग था की वो जब मेरे तरफ देखती मैं नजर झुका लेता. और कभी मैं उसको देखता वो मुस्कारा देती. वो बोलते हैं ना दिल मे घाव सि कर जती है उनकी निगाहे. मुड़ मुड़ के देखने वाले जब देख के मुड़ जाते हैं! और उसकी वो मुस्कान जिंदगी के हर खुशी से किमती थी. class के छुट्टी के बाद घर जाते time मैं उसे बिना देखे नहीं जाता था! वो तिराहे से अपनी घर के तरफ मुड जती थी! मेरी आदत थी. मैं math बनाते समय जो गलती हो जती थी मैं उस पे line नहीं मरता था. उस दिन math के techer मेरे notebook चेक कर रहे थे .वो बोले गलती पे line क्यु नहीं मरे.