White एक गीत इनायत सफाकत कहाँ देखता है, आब खोके मुरव्वत कहाँ देखता है। जो सर चढ़के बोले गुरूर आदमी का, फिर जमजम का पानी कहाँ देखता है। अमीरी में दूरी, गरीबी में दूरी, दिलों में जो फ़ासले गहरी कहानी। सचाई के रस्ते से गुजरे जहाँ पे, मगर अब वो रस्ता कहाँ देखता है। सजे हैं महल और चमकती हैं गलियां, मगर दिल का कस्बा कहाँ देखता है। ये दौलत के प्यासे, हैं शौहरत के दीवाने, किसी का भी रस्ता कहाँ देखता है। तू इंसान की शक्लों में मत ढूंढ ऐ दिल, खुदा का इशारा कहाँ देखता है। ये दुनियावी मंजर, ये चाहत के सपने, हक़ीक़त से दूर ये कहाँ देखते हैं। ख्वाबों में ये क्या क्या कहाँ देखता है, दिलों में जो रस्ता कहाँ देखता है। Rajeev राजीव ©samandar Speaks #sad_quotes अंजान