अभिसाप नही ..... कुछ अधूरा सा ख्वाब है.... मेरी मंज़िल नही कोई नही कोई क़ाबिल मुक़ाम हे... नहीं आज़ादी की दहलीज पर में .... और नही कोई आम हूँ .... बस मेरे दायरे में मेरे अधूरे ख्वाब हे मुझे दुनिया लाचार कहती हे .... मुझे दुनिया सराप कहती हे.... ©G0V!ND DHAkAD #capable_Enough अभी #कस्ति पर हु लेकिन #लाचार नहीं.... थोड़ी डगमगाई हे कस्ति हा मुझमे थोड़ा डर तो है लेकिन हार नहीं.... हा मुझमे #कमिया हे सबमे होती है.. फर्क बस इतना हे ये लोगो को दिखाई देती है....