रो रही धरती हमरी कह रही पुत्र आग लागयी खुद पैरों पे मारी कुल्हाड़ी 'क्यों रोये अब दुनिया सारी काट दिया वन सारे तुमने 'सुख सुबिधा पाने के लोभ मैं अब भुगतो प्रकोप हमरा तब आये गा अकल तुम्हरा हरी भरी थी धरती तुम्हरी झूमती लहरती उपवन सारी देख मन छूने को तरसे रोज सवेरे नये ओस थे आते देख मन जीने को तरसे, ओस के कुछ बुँदे थे ऐसे मनुष्य ने इसे बर्बाद किया, प्राकृतिक को मिटा दिया अब मन मैं बिचार करो हर दिन वनरोपण करो हो जाये गी धरती हरी भरी, झूमेगी फिर से हमरी मातृभूमि.... Nc HAPPY EARTH DAY HAPPY EARTH DAY