तेरे होंठों के तबस्सुम का तलबगार हूँ मैं अपने ग़म बेच दे रद्दी का ख़रीदार हूँ मैं, मेरी हालत पे तकब्बुर नहीं अफ़्सोस भी कर तेरा आशिक़ नहीं जानाँ तेरा बीमार हूँ मैं, हँसते हँसते मेरी आँखों में नमी आ गई है तू ने देखा नहीं किस दर्जा अदाकार हूँ मैं.. #आशू