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रात का ये सूनापन,

रात का ये सूनापन,                                      संग मन की कुछ उलझन।
नींद कोसों दूर आँखों से,
बैठा मुँह फेरे दरपन।
असमंजस है जिंदगी, अनगिनत ये जग बंधन,
राहें उम्मीद कोई नजर नहीं आती,
है बेकल यहाँ तन -बदन।।

©Faniyal
  #uljhAn