मेरी कलम से V मै बनारस की शाम तुम गंगा आरती बन जाना.. मै बाबा विश्वनाथ धाम तुम संकट मोचन मंदिर बन जाना.. मै मणिकर्णिका घाट तुम दशास्वमेध घाट बन जाना... मै गंगा का किनारा तुम बनारस की शाम बन जाना... मै बनारस की चाय तुम बनारस की लस्सी बन जाना... मै बनारस की गली तुम अस्सी घाट बन जाना... मै बनारस बन जाऊ तुम हमारी याद बन जाना.. मै तुझमे खो जाऊ तुम मुझसे खो जाना... जब भी कभी बनारस आना... तुम मेरे हो जाना... Vikas Dev dubey #MahaKumbh2021