आगे की कहानी ,, एक हकीकत थी संध्या बेला मां घर मे दीप जला रही बेटी को बाहर भेज गलती तो ना की , ये सोच मन ही मन घबरा रही हाथ जोड़ भगवान से बोली मेरी बेटी पे दया अपनी रखना हिफाजत उसकी हर मुश्किल मे करना बार बार दुआ यही मांग रही पुजा समाप्त कर मां झरोखे पे आई निचे गलियों मे अपनी नजर दौड़ाई क्यों इतनी देर हुई ये सोच वो घबराई कोई शराबी ना राह में उसे मिल जाये कोई पड़ोसी ना उसको बहलाये बस नौ साल की ही तो मेरी प्यारी है। उसके पापा आते तो सामान मंगवाती काश ! दुकान मैं बेटी को ना भिजवाती या अच्छा होता , मैं भी साथ चली जाती 15 -20 मिनट होने को आये वक्त का पहिया था छूट रहा मां का सब्र भी अब था टूट रहा मांअब खुद को और रोक ना पाती है सिढ़ियों से गिरते सभलते दरवाजे पर आती है तभी उसकी लाडली उसे सामने दिख जाती है गले लगा बेटी को अपनी गलती पे पछताती है आगे की कहानी एक हकीकत पार्ट 2 .।........कहानी अभी समाप्त नहीं हुआ आगे की कहानी जरूर पढ़े! #Nojotohindi #nojotosacchai